हरिकांत शर्मा / आगरा: माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना के स्वरूप में मनाया जाने वाला आगरा का अति प्राचीन और ऐतिहासिक गणगौर मेला का सफलतापूर्वक समापन हो गया. मेले के अंतिम दिन शहर वासियों ने बड़ी तादात में पहुंच कर मेले का आनंद लिया. क्षेत्र में लगाई गई माता गणगौर की 35 मूर्तियों के दर्शन के लिए काफी भीड़ जुट गई.इसके बाद भस्मासुर के पुतले का दहन किया गया.
हर गली-हर चौखट पर सजती है गणगौर माता की मूर्ति
गोकुलपुरा स्थित गणगौर चौराहे पर होने वाले मेले में गणगौर स्वरूपों के दर्शन शुरू किए गए. इसके लिए भव्य रूप में पंडाल सजाए गए और आकर्षक लाइट भी लगाई गई. इस मेले की प्रसिद्धि का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि गोकुलपुरा के पूरे क्षेत्र में हर घर हर गली को सजाया जाता है. हर घर के चौखट पर मां पार्वती और शिव के स्वरूप गणगौर की प्रतिमा लगाई जाती है. देर रात तक बैंड बाजों के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है. इसमें गणगौर की मूर्तियों को श्रद्धालु अपने सर के ऊपर धारण कर क्षेत्र में भ्रमण करते हैं.
कुंवारी कन्याएं करती हैं पूजा और व्रत
मेला आयोजन समिति के सदस्य अंकुर मेडतवाल ने बताया कि मां पार्वती और शंकर भगवान से जुड़ी इस प्राचीन परंपरा को हम सैकड़ों वर्षों से मनाते चले आ रहे हैं. कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर की प्राप्ति और सुहागन स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए पूजा रखती हैं. मुख्य तौर पर यह मेला राजस्थान में बेहद फेमस है. लेकिन, आगरा में भी लोग बड़े श्रद्धा भाव के साथ हर साल दो दिनों के लिए इस मेले का आयोजन करते हैं.
मां गणगौर की उपासना से पति की होती है लंबी आयु
गणगौर को लेकर मान्यता है कि विवाहित व नव विवाहित महिलाएं अगर भगवान शिव और माता पार्वती के प्रतीक ईशर और गणगौर की पूजा अर्चना करती हैं, तो उनके पति की उम्र लंबी होती है. वहीं, अगर अविवाहित महिलाएं यह त्योहार मनाती हैं तो उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : April 18, 2024, 12:39 IST
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