आपने अलग-अलग कैलेंडर सुने होंगे. उनमें अलग-अलग तिथियां भी होती हैं. लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जिसके कैलेंडर से ही 11 दिन गायब हो गए थे. यानी वो 11 दिन उसके हिसाब से थे ही नहीं. लोग रात को सोए और जब जगे तो 11 दिन आगे हो चुके थे. यह घटना सुनने में जितनी दिलचस्प लग रही है, इसकी वजह उससे भी मजेदार है.
यह कहानी है ब्रिटेन की. साल 1752 में 3 सितंबर से 13 सितंबर के बीच यहां न तो किसी का जन्म हुआ, न ही किसी की मृत्यु हुई और न ही कोई विवाह हुआ. कोई युद्ध नहीं लड़ा गया, कोई शर्त नहीं लगाई गई, कोई व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए गए. क्योंकि इस देश के कैलेंडर में ये 11 दिन थे ही नहीं. लोग 2 सितंबर, 1752 की रात को सो गए और 14 सितंबर को जाग गए. क्योंकि ब्रिटेन, पहले जूलियन कैलेंडर का उपयोग कर रहा था, जबकि उसके अधिकांश पड़ोसी पहले से ही अधिक सटीक ग्रेगोरियन कैलेंडर में चले गए थे. इसकी वजह से ब्रिटेन को भी नया कैलेंडर अपनाना पड़ा. इस वजह से 11 दिनों का नुकसान ब्रिटेन को उठाना पड़ा.
पता ही नहीं होता था कि कौन सी तारीख है
नया कैलेंडर अपनाने के लिए ब्रिटेन की संसद ने बकायदा कानून पारित किया, जिसे कैलेंडर न्यू स्टाइल एक्ट 1750 (Calendar New Style Act 1750) के नाम से जाना जाता है. इससे पहले ब्रिटेन जिस जूलियन कैलेंडर को मानता था, उसे 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर ने तैयार करवाया था. उसमें चंद्र-सौर कैलेंडर की गलतियों को ठीक किया गया था. यह एक रोमन कैलेंडर था, जिसमें साल में 355 दिन और 12 महीने होते थे. लेकिन यह सौर वर्ष से लगभग 10 दिन छोटा था. सूर्य की बराबरी करने के लिए बाद में कैलेंडर में हर दूसरे साल 23 या 23 दिन जोड़े जाते रहे. ठीक उसी तरह जैसे हम हर चार साल में लीप दिन जोड़ते हैं. नतीजा हुआ कि रोमन साल 355, 377 और 378 दिनों के बीच बदलता रहा. एक टीम इसे तय करती थी. लेकिन कई बार वह अपने मन से घटा बढा देते थे. इससे नागरिकों को अक्सर पता ही नहीं चलता था कि वर्तमान दिन कौन सी तारीख है.
ताकि सूर्य के साथ बराबरी कर सके
amusingplanet.com की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी गड़बड़ी को दुरुस्त करने के लिए जूलियस सीजर ने दार्शनिकों और गणितज्ञों से ऐसा कैलेंडर बनवाया जो इंसानी हस्तक्षेप के बिना सूर्य के साथ बराबरी कर सके. तब एक साल 365 दिन और 6 घंटे का होता था. गणितज्ञों ने कहा कि अगर हर चार साल में एक दिन जोड़ दिया जाए तो हर साल गायब हो रहे 6 घंटों की भरपाई हो जाएगी. तब से यह प्रथा चली आ रही थी. दरअसल, धरती को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 45 सेकंड का समय लगता है, इसलिए जूलियन कैलेंडर बिल्कुल सटीक नहीं था. सदियों की गलती का नतीजा हुआ कि मामला सही तारीख से काफी दूर निकल गया. ग्रेगोरियन कैलेंडर 1582 का है. लेकिन यह इतना सटीक है कि सूर्य की लगभग बराबरी करता है. इसलिए टाइमिंंग में फेर नहीं होता.
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FIRST PUBLISHED : April 19, 2024, 07:11 IST
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